35.1 C
Delhi
Saturday, July 27, 2024

Buy now

Adsspot_img

अए हम-सफ़र न आब्ले / मीर तक़ी ‘मीर’

- Advertisement -

अए हम-सफ़र न आब्ले को पहुँचे चश्म-ए-तर
लगा है मेरे पाओं में आ ख़ार देखना

होना न चार चश्म दिक उस ज़ुल्म-पैशा से
होशियार ज़ीन्हार ख़बरदार देखना

सय्यद दिल है दाग़-ए-जुदाई से रश्क-ए-बाग़
तुझको भी हो नसीब ये गुलज़ार देखना

गर ज़मज़मा यही है कोई दिन तो हम-सफ़र
इस फ़स्ल ही में हम को गिरफ़्तार देखना

बुल-बुल हमारे गुल पे न गुस्ताख़ कर नज़र
हो जायेगा गले का कहीं हार देखना

शायद हमारी ख़ाक से कुछ हो भी अए नसीम
ग़िर्बाल कर के कूचा-ए-दिलदार देखना

उस ख़ुश-निगाह के इश्क़ से परहेज़ कीजिओ ‘मीर’
जाता है लेके जी ही ये आज़ार देखना

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles