31.1 C
Delhi
Saturday, July 27, 2024

Buy now

Adsspot_img

चाक करना है इसी ग़म से / मीर तक़ी ‘मीर’

- Advertisement -

चाक करना है इसी ग़म से गिरेबान-ए-कफ़न
कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा मेरे बाद

वो हवाख़्वाह-ए-चमन हूँ कि चमन में हर सुब्ह
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा मेरे बाद

तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार को ऐ दश्त-ए-जुनूं
शायद आ जाए कोई आबला पा मेरे बाद

मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन
हर रविश ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद

बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो ‘मीर’
याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बाद

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
14,700SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles